सौ वर्ष पूर्व भारतरत्न महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय ने भारत को उन्नत राष्ट्रों की अग्र पंक्ति में स्थापित करने के लिये बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत एवं विज्ञान एवं आधुनिकतम प्राद्यौगिकी के समन्वित विकास के लक्ष्य के साथ महामना मालवीय जी द्वारा स्थापित यह विश्वविद्यालय आज एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है।
देश में आज 13 लाख विद्यालयों में 27 करोड़ छात्र एवं 830 विश्वविद्यालयों व तत्सम डिग्री प्रदाता संस्थानों सहित 45,000 महाविद्यालयों में 2.9 करोड़ छात्र पढ़ रहे हैं। इनमें से शासकीय एवं सरकारी अनुदान प्राप्त विद्यालयों में कुल छात्रों के 40 प्रतिशत और शासकीय, विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में कुल छात्रों के 46 प्रतिशत छात्र ही पढ़ रहे है। इस प्रकार आज देश के आधे से अधिक छात्रों की शिक्षा में शासकीय योगदान ही नहीं रह गया है। आधे से कम छात्रों के अध्यापन का ही दायित्व सरकार पर रह जाने के बाद भी देश
में शिक्षा का स्तर गिरता चला जाना चिन्ताजनक है। विद्यालयीन छात्रों के स्तर में सतत् गिरावट के कारण अन्तर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम ;च्तवहतंउम वित प्दजमतदंजपवदंस ैजनकमदजे ।ेेमेेउमदज या च्प्ै।द्ध द्वाराकिये जाने वाले 73 देशों के 15वर्ष आयु के विद्यालयीन छात्रों के स्तर के तुलनात्मक मूल्यांकन में भारतीय छात्रों के निरन्तर नीचे से दूसरे स्थान पर आने से भारत ने उस स्पद्र्धा में 2011 के बाद भाग लेना ही बन्दकर दिया था।
इसी प्रकार विश्व की 16 प्रतिशत जनसंख्या और 830 विश्वविद्यालयों व 45000 महाविद्यालयोंका विशाल तंत्र होते हुये भी, विश्व के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में हमारे मात्र 2 संस्थान इस वर्ष स्थान बना पाये हैं। विद्यालय स्तर पर आठवीं तक किसी छात्र को अनुŸाीर्ण नहीं करना व 10वीं की बोर्ड की परीक्षा ऐच्छिक कर देने से हाल के वर्षों में आयी गिरावट को रोकने के लिये आज अविलम्ब प्रयत्न आवश्यक है। यू.पी.ए. के कार्यकाल में हुये इन निर्णयों की कांगे्रस के ही सांसद, आस्कर फर्नानडिस की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति तक ने माना है कि, इससे पूरे देश के विद्यालयों में छात्रों की वाचन क्षमता, भाषा ज्ञान एवं गणीतीय योग्यता में अकल्पित व भारी गिरावट आयी है।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र मंे सभी संकायों मंे स्थान रिक्त होन पर भी सकल नामाकंन अनुपात आज मात्र 20 प्रतिशत ही है। चीन में आज उच्च शिक्षा में सकल नामाकंन अनुपात ;ळतवेे म्दतवसउमदज त्ंजपवद्ध अपेक्षाकृत उच्च व 41 प्रतिशत है, ब्राजील में 44 प्रतिशत, कनाड़ा में 62 प्रतिशत, इंग्लेंड में 57 प्रतिशत, अर्जेंटिना में 68 प्रतिशत, रूस में 77 प्रतिशत व अमेरिका में 83 प्रतिशत है। सीटो की रिक्तता होते हुये भी शुल्क भुगतान सामथ्र्य के अभाव की दशा में, गैर सरकारी व गैर अनुदानित संस्थानों में प्रवेश लेने वाले छात्रों के शुल्क पुनर्भरण जैसी पद्धतियों पर आने वाले समय मंे भारत में भी विचार करना आवश्यक है। इससे अच्छी गुणवत्ता युक्त शिक्षा हेतु छात्रों को प्रवेश हेतु समुचित छात्रवृत्तियों के माध्यम से शुल्क पुनर्भरण व्यवस्था के माध्यम से ही गुणवत्ता से समझौता किये बिना सकल नामांकन अनुपात बेहतर किया जा सकता है।